बुधवार व्रत कथा । पूजन विधि l Budhvar Vrat katha Pujan vidhi HINDI PDF Free Download

बुधवार व्रत कथा । पूजन विधि l Budhvar Vrat katha Pujan vidhi HINDI PDF Free Download

बुधवार व्रत

बुधवार के दिन व्रत रखने का बड़ा ही महत्‍व है इस दिन श्री गणेश की पूजा अर्चना एवं बुधदेव की कथा का वाचन अथवा श्रवण करने से भक्‍त को दोनों देवों की कृपा प्रापत होती है।

बुधवार व्रत की पूजन विधि-

बुधवार के दिन व्रत रखने के लिए समय पर उठकर स्‍नानादि से निवृत्‍त होकर घर के ईशान कोण में गंगाजल छिडकाव के बाद भगवान गणेश की स्‍थापना करनी चाहिए। इस दिन हरे कपडे़ पहनना चाहिए। चौकी पर गणेश जी एवं बुध देव को तस्‍वीर को स्‍थापित करना चाहिए। चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। गंगाजल से गणेश जी एवं बुधदेव को स्‍नान कराने के पश्‍चात गणेश जी को पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें कुमकुम, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, फूल, और सिंदूर अर्पित करें। श्री गणेश को 11 दुर्वा भी समर्पित करें। भगवान श्री गणेश एवं बुधदेव की आरती गाऐं । गणेश चालीसा का पाठ करें। साथ ही अपनी इच्‍छा पूर्ति का वरदान मांगते हुए बुधदेव की कथा का वाचन अथवा श्रवण करे।

बुधवार व्रत के दौरान एक टाईम ही खाना खाना चाहिए। नमक से परहेज करना चाहिए। वाणी पर संयम बरतना अतिआवश्‍यक है।

बुधवार व्रत कथा-

एक समय की बात है एक व्यक्ति का विवाह हुए कई वर्ष बीत गए। विवाह के बाद उसकी पत्नी एक बार अपने मायके गई हुई थी। पत्नी के मायके में रहने के कई दिनों बाद उसका पति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए ससुराल पहुंचा। ससुराल में कुछ दिन तक रहने के बाद वह पत्नी को मायके से विदा करने की बात अपने सास-ससुर के कही। बुधवार का दिन होने के कारण उसके सास-ससुर ने कहा कि इस दिन बेटी ससुराल नहीं जा सकती इस कारण विदाई नहीं हो सकती है। लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना और अपनी पत्नी को मायके से विदा कराकर अपने घर की तरफ चल दिया। रास्ते में जाते वक्त पत्नी को बहुत तेज से प्यास लगी तब पति पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। काफी देर के बाद जब वह पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि पत्नी के पास उसी की वेशभूषा में कोई अन्य व्यक्ति पत्नी के संग बैठकर बाते करता हुआ दिखाई दिया।

दोनों व्यक्ति आपस में लड़ने लगे। पहले व्यक्ति ने गुस्से में दूसरे व्यक्ति से पूछना लगा कि वह कौन और क्यों उसकी पत्नी के साथ बैठकर बाते कर रहा है। फिर आपस में लड़ने लगे।  दूसरे व्यक्ति ने कहा कि यह मेरी पत्नी है। दोनों की बीच भयानक लड़ाई होने लगी तब वहां पर कुछ सिपाही आ गए और स्त्री से उसके असली पति के बारे में पूछने लगे। दोनों व्यक्ति को देखकर स्त्री हैरान हो गई कि कौन मेरा पति है। वह दुविधा में पड़ गई क्योंकि दोनों एक जैसे ही लग रहे थे। तब पहला व्यक्ति परेशान होकर मन में कहा कि भगवान ये आपकी कैसी लीला है। तभी आकाशवाणी हुई की बुधवार के दिन पत्नी को विदा करवा कर नहीं ले जाना चाहिए था। यह सब सुनकर पहला व्यक्ति समझ गया की यह भगवान बुध की लीला है। फिर वह व्यक्ति बुद्धदेव से प्रार्थना करने लगा और क्षमा मांगने लगा। फिर फौरन ही बुद्धदेव अंतर्ध्यान हो गए और उस व्यक्ति को अपनी पत्नी मिल गई। तभी से हर दिन बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा होने लगी।

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व्रत कथा पूर्ण होने के पश्‍चात गणेश चालीसा एवं गणेश जी आरती पढ़कर पूजा समाप्‍त करें।

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