मंगलवार व्रत कथा । पूजन विधि l Mangalvar Vrat katha Pujan vidhi HINDI PDF Free Download

मंगलवार व्रत कथा । पूजन विधि l Mangalvar Vrat katha Pujan vidhi HINDI PDF Free Download

मंगलवार व्रत

हिन्‍दु धर्म में मंगलवार का दिन हनुमानजी को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने से हनुमानजी की असीम कृपा प्रापत होती है।

मंगलवार व्रत की विधि-

मंगलवार का व्रत किसी भी महीने पहले मंगलवार से शुरू किया जा सकता है। इसके पश्‍चात भक्‍त अपनी सामर्थ्‍य अनुसार यह व्रत 21, 41 अथवा आजीवन मंगलवार के लिए रख सकता है। यदि व्रत किसी विशेष संकल्‍प लेकर किया जा रहा है तो व्रत की समयावधि पूर्ण होने के बाद उद्यापन करना आवश्‍यक है।

मंगलवार के व्रत के लिए सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नानादि कर लेना चाहिए। इसके बाद साफ लाल रंग के कपडे पहनकर घर के ईशान कोण में हनुमानजी की मूर्ति या तस्‍वीर स्‍थापित करें। विधिवत घी का दीपक प्रज्‍जवलित करें धूप, फूल, फल एवं मिष्‍ठान अर्पित करें। इस दिन गुुड चने का भोग भी लगाया जाता है। इसके पश्‍चात मंगलवार व्रत कथा पढें अथवा सुनें। कथा पूर्ण होने के बाद हुनमान चालीसा एवं हनुमान जी की आरती का पाठ अवश्‍य करें। संभव हो तो सुंदरकाण्‍ड का पाठ करना अति शुभ माना जावेगा। मंगलवार के व्रत में केवल एक बार भोजन किया जाता है। जिसमें आप को नमक का सेवन नहीं करना है। आप मीठे फल अथवा व्‍यंजन खा सकते हैं।

मंगलवार व्रत कथा-

बहुत पुरानी बात है किसी नगर में एक ब्राह्मण अपने पत्नी के साथ रहते थे। वे निःसंतान होन कारण वह बहुत दुखी थे। ब्राह्मण जंगल में बजरंगबली की पूजा-अर्चना करने चला गया। वह हनुमान जी को प्रसन्न कर पुत्र की प्राप्ति करना चाहता था। इधर ब्राह्मणी भी पुत्र की प्राप्ति की कामना से प्रत्येक मंगलवार को व्रत करती थी। वह मंगलवार के दिन व्रत के समाप्ति पर जो भी भोजन होता था वो पहले हनुमान जी को भोग लगाती थी फिर खुद भोजन करती थी।

एक दिन व्रत के बाद ब्राह्मणी भोजन नहीं बना पायी और बजरंगबली को भी भोग नहीं लगा सकी। उस दिन उसने प्रण लिया कि जब तक मैं अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग नहीं लगाउंगी तब तक भोजन और जल ग्रहण नहीं करुंगी। वह पुरे सप्ताह भूखी प्यासी रही। मंगलवार के दिन वह कमजोरी से बेहोश हो कर गिर गई। उसकी अपार श्रद्धा और भक्ति देखकर हनुमान जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने ब्राह्मणी को एक बहुत सुन्दर पुत्र दिया और बोला कि यह पुत्र तुम्हारी बहुत देखभाल करेगा। यह कह कर हनुमान जी चले गए।

ब्राह्मणी अपने बालक के साथ बहुत खुश रहने लगी। उसने उसका नाम ही मंगल रख दिया। कुछ समय गुजरने के बाद जब ब्राह्मण घर लौटा, तो घर में एक बालक को देख कर जानना चाहा कि वह कौन है? ब्राह्मणी बतायी कि मंगलवार व्रत से खुश होकर बजरंगवली यह बालक दिया है। परन्तु ब्राह्मण को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। अगले दिन मौका पाकर ब्राह्मण ने चुपके से बालक को एक कुएं में फेंक दिया।

घर लौटने पर जब पत्नी पूछी – मंगल कहां है? इतने में पीछे से मुस्कुराता हुआ मंगल आ गया। ये देखकर ब्राह्मण आश्चर्य चकित हो गया। रात को जब ब्रह्मण सो रहा था तो बजरंगवली उसके सपने में आये बोले जिसे तुम फेक रहे थे उसे मैं ने ही उसे दिया है। सत्य जानने के बाद ब्राह्मण की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। इस दिन के बाद दोनों पति पत्नी प्रत्येक मंगलवार नियमित रूप से पूरी श्रद्धा के साथ व्रत करने लगे। मंगलवार का व्रत जो भी प्राणी रखता है उस पर बजरंगवली की कृपा हमेशा बनी रहती है।

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व्रत कथा पूर्ण होने के पश्‍चात हनुमान चालीसा एवं हनुमान जी की आरती पढ़कर पूजा समाप्‍त करें।

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